पृथ्वी पर संकट: धरती से टकराया तूफान तो कई देशों में होगा ब्लेक आउट
नई दिल्ली। दशकों में पहली बार सूर्य से चलने वाला भू-चुंबकीय तूफान (सौर तूफान) पृथ्वी से टकराने वाला है। अमेरिका की वैज्ञानिक एजेंसी नेशनल ओशनिक एंट एटमास्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन ने वॉर्निंग जारी करते हुए कहा है कि इससे सैटलाइट्स के लिए चुनौती पैदा हो सकती है। इसके अलावा पावर ग्रिड फेल होने, संचार नेटवर्क और इलेक्ट्रानिक उपकरणों के लिए खतरा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक सौर तूफान की वजह से मैग्नेटिक फील्ड में परिवर्तन होता है जिसकी वजह से पावर लाइन में एक्स्ट्रा करंट आ सकता है और ब्लैकआउट का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा लंबी पाइपलाइनों में भी बिजली प्रवाहित हो सकती है जिसकी वजह से मशीनें खराब होने का खतरा है। इसके अलावा अंतरिक्ष यान अपना रास्ता भटक सकता है। नासा ने अपने अंतरिक्षयात्रियों की सुरक्षा के लिए एक टीम बनाई है।
अमेरिकी एजेंसी ने बताया कि सप्ताह के आखिरी में यह सौर तूफान पृथ्वी से टकराएगा। 2005 के बाद यह पहला सौर तूफान है। इससे दुनियाभर में ब्लैकआउट, हाई फ्रेक्वेंसी रेडियो वेव का खतरा पैदा हो गया है। रिपोर्ट के मुताबिक ट्रांस पोलर इलाकों में उड़ान भरने वाले विमानों को लेकर अलर्ट जारी किया गया है। इन्हें री रूट किया जा सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि तस्मानिया से ब्रिटेन तक आसमान में चमक देखी जा सकेगी। यह गंभीर श्रेणी का (जी 4) जियोमैग्नेटिक तूफान है। बता दें कि इससे पहले जब 2005 में हैलोवीन सौर तूफान आया था तब स्वीडन में ब्लैकआउट हो गया था। वहीं दक्षइण अफ्रीका में भी पावर इन्फ्रास्ट्रक्चर पर प्रभाव पड़ा था। दरअसल सौर तूफान टकराने से पृथ्वी की मैग्नेटिक फील्ड में परिवर्तन देखा जाता है जिसका असर ऊर्जा संयंत्रों और नेविगेशन सिस्टम पर पड़ता है। रिपोर्ट के मुताबिक तस्मानिया और यूरोप के कई इलाकों में लोगों ने नेकेड आंखों से भी इस सौर तूफान की झलक देखी है। बता दें कि सौर तूफान कोरोनल मास इंजेक्शन की वजह से बनता है जो कि सूर्य पर होने वाली विस्फोट की घटनाएं हैं। वहीं जहां सूर्य से आने वाला प्रकाश मात्र 8 मिनट में धरती पर पहुंच जाता है। वहीं सीएमई की तरंगें 800 किमी प्रति सेकंड की रफ्तार से चलती हैं।