लॉकडाउन में शादी की बुकिंग टली, होटल ने 2 लाख एडवांस नहीं लौटाए, कोर्ट ने दिया आदेश ब्याज समेत दें रकम
एडवोकेट सी.एम. रामनानी की जोरदार पैरवी पर उपभोक्ता फोरम ने सुनाया फैसला
जावरा। जावरा निवासी एक परिवार ने अप्रैल 2020 में उज्जैन का होटल मित्तल पैराडाइज व श्री बालाजी इंटरप्राइजेज बुक करवाया था। जहां उनकी बेटी की शादी होना थी लेकिन तब कोरोना महामारी फैलने से शासन ने शादियों के बड़े आयोजन रोक दिए इसलिए बुकिंग निरस्त करना पड़ी। इस पर होटल प्रोप्राइटर व महाप्रबंधक ने राशि नहीं लौटाई। उक्त परिवार ने रतलाम जिला उपभोक्ता न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। जिसके बाद एडवोकेट सी.एम. रामनानी की जोरदार पैरवी पर कोर्ट ने होटल प्रोप्राइटर व महाप्रबंधक को आदेश दिए कि वे 2 लाख रुपए 6 प्रतिशत ब्याज सहित लौटाएं। साथ ही मानसिक यातना के हर्जाने के तौर पर 10 हजार रुपए और 2 हजार रुपए न्यायालयीन व्यय भी दें।
एडवोकेट सी.एम. रामनानी ने बताया कि जावरा के गांधी कॉलोनी निवासी स्कूल संचालक देवेंद्र मूणत ने उज्जैन में इंदौर रोड स्थित मित्तल पैराडाइज होटल एंड एवेन्यू के प्रबंध निदेशक व प्रोप्राइटर पराग मित्तल तथा महाप्रबंधक समेत अन्य के खिलाफ परिवाद प्रस्तुत किया। इसमें मूणत ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग (न्यायालय) को बताया कि 25 से 27 नवंबर 2020 के बीच बेटी की शादी करना थी। 105 कमरे, हॉल, लॉन, डेकोरेशन आदि की बुकिंग 13 लाख रुपए में तय की और एडवांस 2 लाख रुपए भी दिए। दोनों होटल की बुकिंग की जिम्मेदारी पराग मित्तल ने ली और राशि बालाजी इंटरप्राइजेज के खाता क्रमांक 088073000000169 साउथ इंडियन बैंक में जमा करवाने के लिए कहा। यह राशि हमने एनईएफटी के जरिये 16 व 17 अप्रैल 2020 को ही जमा करके बुकिंग तय कर ली। फिर 2020 में कोरोना महामारी के कारण देशभर में लॉकडाउन की स्थिति बनी। सरकार ने लॉकडाउन में विवाह के बड़े आयोजन पर रोक लगा दी।
हमने विवाह की तारीख के 2 महीने पहले ही होटल बुकिंगकर्ता को सूचना दे दी तथा राशि वापस मांगी लेकिन उन्होंने टालमटोल किया। 4 सितंबर 2020 को अधिवक्ता के माध्यम से होटल वालों को नोटिस भेजा। मामले में होटल प्रोप्राइटर की तरफ से भी पक्ष रखा गया कि बुकिंग राशि वापस नहीं होने की शर्त थी। इनके चक्कर में हम दूसरी बुकिंग भी नहीं कर पाए। इससे हमें 11 लाख रुपए का नुकसान हुआ। हालांकि सुनवाई के दौरान जिला उपभोक्ता न्यायालय ने कहा कि होटल प्रोप्राइटर के तर्क सही नहीं हैं। कोरोना महामारी की पाबंदियों से सभी वाकिफ हैं। दो महीने पहले बुकिंग निरस्त कर दी थी तो इस अवधि में वे चाहते तो दूसरी बुकिंग कर सकते थे। लीगल नोटिस से राशि वापसी की मांग भी अपने आप में सबूत है कि बुकिंग निरस्त की थी।
मानसिक त्रास की क्षतिपूर्ति के लिए 10 हजार रुपए हर्जाना देने के भी आदेश
एडवोकेट रामनानी ने बताया उक्त सभी तथ्यों को ध्यान में रखते जिला उपभोक्ता न्यायालय के अध्यक्ष मुकेश कुमार तिवारी एवं सदस्य जयमाला संघवी की जिला पीठ ने फैसला सुनाया। जिला उपभोक्ता न्यायालय ने कहा कि दोनों मिलकर या कोई विपक्षीगण एडवांस राशि 2 लाख रुपए परिवाद प्रस्तुति दिनांक से अदायगी दिनांक तक 6 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज सहित परिवादी को दें। इसके अलावा मानसिक त्रास की क्षतिपूर्ति के 10 हजार रुपए भी परिवादी को अदा करें। 2 हजार रुपए परिवाद व्यय भुगतान करें। यदि आदेश के 60 दिन के भीतर राशि भुगतान नहीं करेंगे तो फिर 8 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर से राशि देना होगी।