आईसीएमआर की चेतावनी- पैकेज्ड फूड पर लेबल के दावे हो सकते हैं भ्रामक
शुगर-फ्री प्रोडक्ट्स में हो सकता है ज्यादा फैट
नई दिल्ली। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च यानी आईसीएमआर ने कहा है कि पैकेज्ड फूड पर लगे लेबल के दावे भ्रामक हो सकते हैं। साथ ही हेल्थ रिसर्च बॉडी आईसीएमआर ने यह भी कहा कि कंज्यूमर्स को पैकेज्ड फूड पर दी गई इंफॉर्मेशन को ध्यान से पढऩा चाहिए, ताकि उन्हें जानकारी हो और वे अपने लिए हेल्दी फूड चुन सकें।
आईसीएमआर ने कहा कि कई प्रोडक्ट जो शुगर-फ्री होने का दावा करते हैं असल में उनमें फेट यानी वसा की मात्रा ज्यादा हो सकती है। जबकि पैक्ड फ्रूट जूस में केवल 10 प्रतिशत ही फ्रूट पल्प होता है। हाल ही में जारी अपनी गाइडलाइंस में आईसीएमआर ने कहा कि पैकेज्ड फूड पर हेल्थ क्लेम्स सिर्फ कंज्यूमर्स का ध्यान खींचने और उन्हें यह बताने के लिए डिजाइन किए जाते हैं कि प्रोडक्ट हेल्दी है।
लेबल पर दी गई जानकारी हो सकती है भ्रामक
आईसीएमआर के तहत हैदराबाद बेस्ड नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन (एनआईएन) ने भारतीयों के लिए डाइटरी गाइडलाइंस जारी की है। एनआईएन ने कहा कि फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया के सख्त मानदंड हैं, लेकिन लेबल में दी गई जानकारी भ्रामक हो सकती है। कुछ उदाहरण देते हुए एनआईएन ने कहा कि किसी फूड प्रोडक्ट को नेचुरल कहा जा सकता है, यदि इसमें एडेड कलर्स, फ्लेवर्स और आर्टिफिशियल सब्सटेंसेस नहीं मिलाए गए हैं और यह मिनिमल प्रोसेसिंग से गुजरता है।
जानकारी ध्यान से पढऩा चाहिए
एनआईएन ने कहा कि नेचुरल शब्द का अक्सर इस्तेमाल किया जाता है, भले ही पैक्ड फूड में केवल एक या दो नेचुरल चीजें शामिल हों। ऐसे में ये ये भ्रामक हो सकता है इसलिए लोगों को सामग्री और अन्य जानकारी को ध्यान से पढऩा जरूरी है। बेहतर सेहत के लिए पैक्ड फूड के लेबल पर किए गए दावों की अच्छे ये जांच करें। एनआईएन ने लेबल पर दिए गए बयानों के कुछ उदाहरण प्रस्तुत किए जो भ्रामक हो सकते हैं। रियल फू्रट और फ्रूट जूस के दावे पर एनआईएन ने कहा कि स्नस्स््रढ्ढ रेगुलेशन के अनुसार, किसी भी फूड आइटम में अगर थोड़ी मात्रा हो भी, उदाहरण के लिए फ्रूट जूस वाले किसी प्रोडक्ट में सिर्फ 10 प्रतिशत फ्रूट मिलाए गए हों तो उसे यह कहने या बताने की अनुमति है कि प्रोडक्ट रियल फ्रूट पल्प या जूस से बना है।