शंकराचार्य मठ पर धूमधाम से हुआ आद्य शंकराचार्य जयंती का आयोजन, पांच दिवसीय आद्य शंकराचार्य जयंती महोत्सव पूर्ण
भानपुरा। भगवान आद्य शंकराचार्य की जयंती ज्योतिर्मठ अवान्तर भानपुरा पीठ शंकराचार्य मठ में धूमधाम से मनाई गई। पांच दिवसीय आद्य शंकराचार्य जयंती महोत्सव अन्तर्गत आज 12 मई को प्रातः 8 बजे शंकराचार्य मठ में वैदिक मंत्रों से पूजन-अर्चन किया गया। तत्पश्चात् आद्य शंकराचार्य भगवान की शोभायात्रा नगर के प्रमुख मार्गों से होती हुई यशवंतराव होल्कर छत्री पर पहुंची, वहां से जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी ज्ञानानंदजी तीर्थ एवं स्वामी श्री वरूणेन्द्रजी तीर्थ युवाचार्य ने पूजन अर्चन किया। जहां से शोभायात्रा रेवा तट स्थित आद्य शंकराचार्य सांस्कृतिक भवन पहुंचकर धर्मसभा में परिवर्तित हुई। धर्मसभा में पूज्य शंकराचार्य स्वामी श्री ज्ञानानंदजी तीर्थ एवं युवाचार्य स्वामी श्री वरूणेन्द्रजी तीर्थ ने आशीर्वचन प्रदान किए।
स्वामीश्री ज्ञानानंदजी तीर्थ ने कहा कि हमें सनातन के सिद्धान्तों को जीवन में आत्मसात करना होगा। आपने युवा पीढी को नशे से दूर रहकर समाज, धर्म और देश की सेवा करने का संदेश दिया। आपने आमजन से अधिक से अधिक पौधारोपण कर पर्यावरण को शुद्ध और संरक्षित करने का भी संदेश दिया।
स्वामी श्री वरूणेन्द्रजी तीर्थ युवाचार्य ने सनातन धर्म की वैदिक पद्धतियों का वैज्ञानिक एवं युगानुकुल महत्व प्रतिपादित किया। आद्य शंकराचार्य भगवान ने वैदिक सनातन परम्पराओं को पुर्नस्थापित किया। गुरू ने सदैव सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक क्षेत्रों का समन्वय किया है। आद्य शंकराचार्य ने सुधन्वा को चक्रवर्ती सम्राट बनाया था। आधुनिक वैज्ञानिकों और इतिहासकारों ने जगद्गुरू शंकराचार्य के कृतित्व को छुपा दिया।
इस अवसर पर विप्र फाउण्डेशन परिवार झालावाड, सर्व ब्राम्हण समाज बकानी झालावाड, वाग्देवी संस्कृति परिषद भानपुरा, सर्व ब्राम्हण समाज झालावाड एवं इतिहासकार डॉ. प्रद्युम्न भट्ट ने युवाचार्य स्वामी श्री वरूणेन्द्रजी तीर्थ का शॉल-श्रीफल एवं अभिनंदन भेंट कर अभिनंदन किया। साथ ही रामगंजमण्डी, बकानी, भवानीमण्डी, कोटा के श्रद्धालुभक्तों ने युवाचार्य स्वामी श्री वरूणेन्द्र तीर्थ को नवीन वाहन स्कॉर्पियों भी भेंट किया।