मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा मंडी टैक्स, किसान-व्यापारी परेशान, ध्यान नहीं दे रहे माननीय

Neemuch 12-05-2024 Regional

भोपाल। चुनावी मौसम आते ही जनप्रतिनिधियों और राजनेताओं को व्यापारियों-किसानों का हित याद आने लगता है। इन दोनों वर्गों का बड़ा मुद्दा मंडी टैक्स में कमी करना है। हर चुनाव में चर्चा में रहने वाला ये मुद्दा अब तक हल नहीं हो सका है। मंडियों में शासन द्वारा सभी प्रकार के अनाज व दलहन जिंसों पर एक प्रतिशत मंडी टैक्स व 20 पैसे निराश्रित शुल्क लिया जा रहा है। ऐसे में व्यापारियों को सौ रुपये की खरीदी पर 1.20 रुपये टैक्स देना पड़ा रहा है। व्यापारियों का कहना कि गुजरात व अन्य राज्यों में आधा प्रतिशत ही टैक्स लिया जा रहा है। प्रदेश में टैक्स घटाकर आधा प्रतिशत करना चाहिए। पहले डेढ़ प्रतिशत टैक्स व 20 पैसे निराश्रित शुल्क लिया जाता था। बड़े वर्ग की इस समस्या को लेकर जनप्रतिनिधियों से व्यापारी-किसान कई बार गुहार लगा चुके हैं लेकिन कहीं से राहत नहीं मिली।
विधानसभा चुनाव से पूर्व मंडी टैक्स घटाने सहित 11 सूत्री मांगों को लेकर अनाज दलहन तिलहन व्यापारी महासंघ के आव्हान पर चार सितंबर 2023 से अनिश्चितकालीन हडताल की गई थी। 18 दिन बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा मंडी टैक्स घटाकर एक प्रतिशत करने पर हड़ताल खत्म की गई थी। दी ग्रेन सीड्स एंड मर्चेंट एसोसिएशन अध्यक्ष सुरेंद्र चत्तर ने बताया कि मंडी टैक्स कम करने से सभी को फायदा हुआ है। इसे आधा प्रतिशत करने से किसानों व उपभोक्ताओं को और फायदा होगा।
नोटिस से खलबली, लेकिन सुनवाई कहीं नहीं
केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी को लेकर भी विशेष रूप से नोटिस दिए जाते हैं। फरवरी में केंद्र सरकार के जीएसटी विभाग द्वारा सभी व्यापारियों को नोटिस दिया गया है कि वर्ष 2017 से लेकर आज तक का मंडी टैक्स और जीएसटी का विवरण प्रस्तुत करें। व्यापारियों में इसे लेकर हडक़ंप मचा हुआ है। इसकी वजह यह है कि पांच साल का रिकार्ड केवल तीन दिन में दे पाना संभव नहीं है। वहीं मंडी व्यापारियों का कहना है कि मंडी टैक्स में कमी नहीं की गई है।
उल्लेखनीय है कि मंडी टैक्स के साथ सोयाबीन तिलहन वाली फसल होने के कारण इस पर जीएसटी भी लगाया जाता है। मंडी व्यापारियों को परेशानी हो रही है। मामले में सांसद छतर सिंह दरबार ने कहा कि हाल ही में जीएसटी को लेकर जो नोटिस दिया गया है, उसे लेकर मुझे विशेष रूप से कोई जानकारी नहीं है। मंडी से जुड़े किसान और व्यापारियों के लिए केंद्र सरकार प्रतिबद्ध है। उनकी व्यवहारी कठिनाइयों को दूर करने के लिए निश्चित रूप से प्रयास किए जाएंगे।
गुजरात से ज्यादा, अन्य से कम
मंदसौर जिले में कुल नौ मंडियों में लगभग 800 व्यापारी किसानों से उपज खरीदी करते हैं। यहां व्यापारियों से एक प्रश मंडी शुल्क वसूला जा रहा है, जो केवल गुजरात से ज्यादा है। इसके अलावा राजस्थान और अन्य राज्यों में यहां से दुगना मंडी टैक्स वसूला जा रहा है। व्यापारियों का कहना है दूसरे राज्यों से जो उपज खरीद कर लाते हैं, उस पर मंदसौर में भी मंडी टैक्स वसूला जाता है। जबकि मंडी में भी नहीं ले जाते हैं। इस पर रोक लगनी चाहिए। सांसद सुधीर गुप्ता ने कहा कि मंदसौर संसदीय क्षेत्र में मंडी व्यापारियों की सुविधाओं का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। समय समय पर सरकार तक उनकी बात पहुंचाते रहते हैं।
टैक्स में 31 मार्च तक ही छूट मिलेगी
वर्तमान में कपास खरीदी में व्यापारियों से 70 पैसे प्रति सैकड़ा टैक्स लिया जा रहा है। इसमें 50 पैसे मंडी व 20 प्रतिशत निराश्रित शुल्क लिया जा रहा है। अनाज, दलहन, तिलहन में व्यापारियों से 1.20 पैसे टैक्स लिया जा रहा है। इसमें एक रुपया मंडी व 20 पैसे निराश्रित टैक्स है। व्यापारी संघ का कहना है कि सभी तरह की खरीदी पर 1 रुपये 70 पैसे लिए जा रहे थे।
विधानसभा चुनाव से पूर्व सरकार ने कपास में 1 रुपया कम किया है तो अनाज में 50 पैसे। यह भी 31 मार्च तक के लिए है। विभिन्न समस्याओं के चलते ही खरगोन जिले में संचालित 100 से ज्यादा जीनिंग महाराष्ट्र में चली गई हैं। बड़वानी में भी यही स्थिति है। टैक्स की मार के चलते सेंधवा व खेतिया के कुछ कपास व्यापारियों ने यहां के बजाय महाराष्ट्र में फैक्ट्री स्थापित कर ली है।
निराश्रित शुल्क का कोई औचित्य नहीं
उज्जैन जिले के व्यापारियों को मंडी टैक्स को लेकर परेशानी है। व्यापारियों का कहना है कि तीन महीने पहले मंडी शुल्क 0.50 फीसद कम कर 1 फीसद कर दिया, किंतु 0.20 फीसद लगने वाले निराश्रित शुल्क को यथावत रख दिया। इसका कोई औचित्य नहीं है। यह शुल्क बरसों पहले बांग्लादेश से आए शरणार्थियों के लिए लगाया गया था। वर्तमान स्थिति में इस शुल्क का उपयोग नहीं हो रहा है। बता दें देश की किसी भी मंडी में निराश्रित शुल्क लागू नहीं है। प्रदेश के व्यापारी, किसान इस शुल्क से मुक्ति चाहते हैं। ताकि व्यापार में अन्य प्रदेशों से प्रतिस्पर्धा कर सके। सांसद इसे लेकर प्रयास करते रहे हैं, मगर सफलता नहीं मिली। इधर झाबुआ जिले के व्यापारियों का कहना है कि मंडियों में सुविधाएं नहीं होने से किसानों व व्यापारियों को दिक्कतें आती हैं।
कपास व्यापारी चिंतित
खंडवा के कपास व्यापारी भी इस बात से चिंचित है कि 31 मार्च के बाद कपास पर भी एक रुपये प्रति सैकड़े के हिसाब से टैक्स वसूला जाने लगेगा। व्यापारियों का कहना है कि चुनाव के दौरान सरकार ने कपास पर टैक्स कम करते हुए इसे 50 रुपये प्रति सैकड़ा किया था लेकिन अब फिर टैक्स बढऩे नुकसान होगा। मंडी में इस सीजन में कपास की भरपूर आवक हुई है। खंडवा ही नहीं बुरहानपुर और खरगोन जिले से भी किसान यहां कपास लाकर बेच रहे हैं। सीजन के शुरुआती दौर में 300 से 400 वाहन तक कपास नीलाम हुआ लेकिन वर्तमान में औसतन 100 वाहन कपास नीलाम हो रहा है। जनप्रतिनिधियों से यहां भी व्यापारी कई बार अपनी समस्या बता चुके हैं लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ।