कलेक्टर कोर्ट के फैसलों को न्यायालय में नहीं दी जा सकती चुनौती
- मप्र गौवंश वध प्रतिषेध अधिनियम, 2004 में संशोधन की तैयारी
भोपाल। मप्र में गौवंश के अवैध परिवहन को लेकर सख्त है। प्रदेश में गौवंश के अवैध परिवहन पर छह माह में 575 से अधिक प्रकरण दर्ज किए गए हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश पर पुलिस की कार्रवाई में 1121 से अधिक आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। करीब 342 वाहन जब्त किए गए और 7524 गौवंश को मुक्त कराया गया। वहीं अब गौवंश के अवैध परिवहन और तस्करों पर नकेल कसने के लिए सरकार मप्र गौवंश वध प्रतिषेध अधिनियम, 2004 में संशोधन करने जा रही है। इस अधिनियम में संशोधन के बाद कलेक्टर कोर्ट में चल रहे गौवंश, गौमांस व वाहनों की जब्ती व अवैध परिवहन से संबंधित मामलों में न्यायालय हस्तक्षेप नहीं कर सकेगा। यानी कलेक्टर कोर्ट के फैसलों को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है।
मप्र के सिवनी में 54 गौवंश के गला काटकर फेंकने का मामला देशभर में गरमाया हुआ है। इस घटना के बाद मप्र में सरकार के दिशा-निर्देश पर गो तस्करों के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई हो रही है। पुलिस की कार्रवाई के बीच आई एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारत देश का पांचवां सबसे बड़ा बीफ निर्यातक देश है। इसलिए यहां गौ तस्करी जोरों पर है। देश में हो रही गौ तस्करी का ट्रांजिट पॉइंट मप्र बना हुआ है। ऐसे में अब मप्र सरकार गौवंश के अवैध परिवहन को लेकर सख्त कदम उठाने जा रही है। मप्र गौवंश वध प्रतिषेध अधिनियम के अंतर्गत प्रदेश में गौमांस एवं गौवंश के अवैध परिवहन पर प्रतिबंध लगा हुआ है। अधिनियम में गौमांस एवं गौवंश को परिभाषित करते हुए उनके वध एवं अवैध परिवहन पर रोक लगाई गई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर पुलिस ने पिछले छह महीने में गौवंश का अवैध परिवहन करने के 500 से अधिक प्रकरण दर्ज किए हैं। साथ ही एक हजार से भी अधिक आरोपियों की गिरफ्तारी की जा चुकी है।
नहीं होगा न्यायालय का दखल
गौवंश और गौमांस के अवैध परिवहन को रोकने के लिए सरकार मप्र गौवंश वध प्रतिषेध अधिनियम, 2004 में संशोधन करने जा रही है। इस अधिनियम में संशोधन के बाद कलेक्टर कोर्ट में चल रहे गौवंश, गौमांस व वाहनों की जब्ती व अवैध परिवहन से संबंधित मामलों में न्यायालय हस्तक्षेप नहीं कर सकेगा। गौवंश के मामलों में आपराधिक प्रकरण तो कोर्ट में ही चलेंगे, लेकिन गौवंश, गौमांस और वाहन की जब्ती और उनके अवैध परिवहन जैसे प्रकरणों में, जो कि कलेक्टर कोर्ट में चलते हैं, वह कलेक्टर कोर्ट में ही बिना न्यायालय के दखल के चलेंगे। कलेक्टर कोर्ट के फैसले को पहले संभागायुक्त कोर्ट और फिर सेशन कोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी। पशुपालन विभाग ने मप्र गौवंश वध प्रतिषेध अधिनियम में संशोधन संबंधी प्रस्ताव तैयार कर लिया है। इस प्रस्ताव को विधि विभाग के साथ ही मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली सीनियर सेक्रेट्री कमेटी ने भी मंजूरी दे दी है। जल्द ही प्रस्ताव को कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा। कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद विधेयक को विधानसभा के मानसून सत्र में पेश किया जाएगा। पशुपालन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि गौवंश व गौमांस की जब्ती व अवैध परिवहन के मामलों में सुनवाई कलेक्टर कोर्ट में होती है। कलेक्टर कोर्ट में सुनवाई के दौरान कई आरोपी पहले ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट और फिर सेशन कोर्ट में चले जाते हैं। कई बार उन्हें कोर्ट से राहत मिल जाती है। ऐसे में कलेक्टर कोर्ट में चल रहे मामले स्वत: खत्म हो जाते हैं। सरकार ने अधिनियम में संशोधन कर यह प्रावधान किया है कि जब गौमांस, गौवंश के अवैध परिवहन व जब्ती के मामलों में कलेक्टर कोर्ट में सुनवाई चल रही होगी, तो डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के संज्ञान में लाया जाएगा कि वह इन मामलों में सुनवाई न करे। इस तरह ये मामले में न्यायालय की परिधि से बाहर रहेंगे और इनकी सुनवाई कलेक्टर कोर्ट में होगी और वही मामले में फैसला सुनाएगा। कलेक्टर कोर्ट के फैसले को पहले संभागायुक्त कोर्ट में और फिर सेशन कोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी। अधिकारियों का कहना है कि गौवंश वध प्रतिषेध अधिनियम में पहले भी एक बार संशोधन किया जा चुका है। अब इसे प्रभावी बनाने दसरी बार संशोधन किया जा रहा है।
सीमावर्ती जिलों में विशेष नजर
पुलिस को अवैध परिवहन पर गोपनीय स्तर पर निगाह रखना आवश्यक था। इसलिए पुलिस मुख्यालय ने विगत 10 वर्षों के गौवंश के अवैध परिवहन के ट्रेंड और रूट्स का गहन विश्लेषण कर कार्ययोजना तैयार की, जिसके आधार पर पुलिस को यह स्पष्ट हुआ कि मप्र के दक्षिण व पश्चिम के सीमावर्ती जिले जैसे बालाघाट, सिवनी, छिंदवाड़ा, बड़वानी, खरगोन, बुरहानपुर, उज्जैन, रतलाम, नीमच आदि जिले गौवंश के अवैध परिवहन से सर्वाधिक प्रभावित हैं। इन सभी क्षेत्रों में पुलिस तत्परता से ध्यान पूर्वक लगातार कार्यवाही कर रही है। यह भी जानकारी प्राप्त हुई है कि कई बार गौवंश का अवैध परिवहन करने वाले अपराधी मुख्य मार्गों से हटकर जंगल व गांव के कच्चे रास्ते से गौवंश निकालने का प्रयास करते हैं। इस ओर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है तथा कई प्रकरणों में आरोपी इन स्थानों से पकड़े गए हैं। छह माह में सिवनी जिले में 55 प्रकरण दर्ज किए गए। 99 आरोपियों को पकड़ा। वहीं, 1301 गौवंश का मुक्त कराया गया और 38 वाहन जब्त किए गए। इसी प्रकार बालाघाट जिले में 48 प्रकरण दर्ज कर 105 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। बैतूल में 40 प्रकरण दर्ज कर 71 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। खरगोन में 34 प्रकरण दर्ज कर 60 आरोपियों और नीमच में 23 प्रकरण दर्ज कर 38 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।