फिजुलखर्ची का भार उपभोक्ताओं पर डाल रहीं बिजली कंपनियां, बिजली चोरी न रोक पाना पड़ रहा है भारी

Bhopal 12-05-2024 Regional

भोपाल (ईएमएस)। प्रदेश में अगर बिजली चोरी रुक जाए और इंटर स्टेट ट्रांसमिशन चार्ज पर लगाम लग जाए तो उपभोक्ताओं को बिजली सस्ती दर पर मिल सकती है। अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण से जुड़े उपभोक्ताओं तक बिजली आपूर्ति करने कंपनी को प्रति यूनिट सात रुपए का खर्च आ रहा है। अगर अन्य कंपनियों का खर्च देंखे तो भोपाल समेत मध्यक्षेत्र से जुड़े शहरों में बिजली आपूर्ति करने सात रुपए प्रति यूनिट खर्च है। पश्चिम क्षेत्र में 6.93 रुपए जबकि पूर्व क्षेत्र में ये खर्च 6.97 रुपए प्रति यूनिट खर्च है। भोपाल में रोजाना 70 लाख यूनिट बिजली की मांग के अनुसार ये खर्च 4.90 करोड़ रुपए रोजाना बनता है। बिजली उपभोकाओं तक पहुंचाने का ये खर्च अन्य शहरों से जुड़ी कंपनियों से अधिक है। गौरतलब है कि भोपाल मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी से जुड़ा हुआ है। यहीं इसका मुख्यालय है। कंपनी के सभी 16 शहरों में बिजली आपूर्ति खर्च यही है। यहां एक साल में कुल 15870 करोड़ रुपए वसूली होती है, जबकि खर्च 14 हजार 619 करोड़ रुपए  है। इसका 75 फीसदी खर्च करीब 10472 करोड़ रुपए बिजली खरीदी पर ही करना होता है, बाकी कर्मचारियों के वेतनभत्ते व सुविधाओं पर। उपभोक्ताओं को बेहतर बिजली देने के लिए बमुश्किल 250 करोड़ रुपए सालाना खर्च हो रहा है। यदि इसमें कमी कर दी जाए तो बिजली आपूर्ति की कीमत घटे और उपभोक्ताओं को भी सस्ती बिजली का रास्ता खुल सकता है।

बिजली चोरी प्रकरण के डिजिटल पंचनामे बनेंगे: भोपाल में बिजली चोरी पकडऩे सघन चेकिंग अभियान शुरू होगा। इसमें इस बार खास यह है कि बिजली चोरों के डिजिटल पंचनामे बनाए जाएंगे। इसके लिए कंपनी ने विशेष मोबाइल एप तैयार कराया है। कोरोना काल में इसे कंपनी ने शुरू किया था। अब इसका प्रयोग बढ़ाया जा रहा है। एप पर अंगूठा या हस्ताक्षर किया जा सकता है। पूरा मैटर भी बनाया जाता है। ये सीधे कंपनी के सॉफ्टवेयर में फीड हो जाएगा, बाद में किसी तरह की मिलीभगत या अन्य पंचनामें की स्थिति नहीं बचेगी।
किस मद में कितना खर्च
- 10472 करोड़ रुपए बिजली खरीदी पर
- 1502 करोड़ रुपए इंट्रा स्टेट ट्रांसमिशन चार्ज
- 341 करोड़ रुपए आरएंडएम खर्च
- 1326 करोड़ रुपए कर्मचारियों पर खर्च
- 134 करोड़ रुपए एएंडजी खर्च
- 395 करोड़ रुपए डिप्रेशिएशन
- 446 करोड़ रुपए ब्याज भुगतान
- 14 हजार 619 करोड़ रुपए  कुल खर्च है।तीन माह में न्यूनतम स्तर पर लाना है लाइन लॉस
अफसरों को तीन माह में लाइन लॉस को न्यूनतम स्तर पर लाने के लिए कहा गया है, ऐसा नहीं होने पर संबंधितों पर कार्रवाई की जाएगी। शहर के बिजली चोरी बहुल क्षेत्रों में सघन चेकिंग अभियान के साथ बकाया राशि की वसूली भी होगी। अभी भोपाल में कई क्षेत्रों में 45 प्रतिशत तक बिजली चोरी हो जाती है। पुराना शहर इसमें सबसे आगे हैं। 15 प्रतिशत के लॉस को तकनीकी लॉस मानते हैं, लेकिन इससे ज्यादा लॉस चोरी में आता है।
खराब मीटर प्राथमिकता से बदलेंगे
खराब तथा जले बिजली मीटर्स को भी बदलने का काम भी अब प्राथमिकता से होगा। आवेदन या पता चलने के 24 घंटे में मीटर्स बदले जाएंगे। गौरतलब है कि मीटर रीडर्स व बिजली के जोनल इंजीनियर्स या लाइन स्टॉफ की मदद से बकायादार अपने मीटर को खराब करवा लिया करते हैं। सामान्य तौर पर भी मीटर खराब हो जाता है, जल जाता। कई बार इससे उपभोक्ताओं को बड़ा बिल भी बन जाता है। ऐसे मीटर्स को जल्द बदल जाता है।